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तो एक बवंडर बन जाना

गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

किस्मत का रोना तो प्यारे
कायर ही रोया करते हैं
गर रक्त भी निकले वीरों का
फिर भी आहें ना भरते हैं

तू साध निशाना दुश्मन पे
इक बाण धनुष का बन जाना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

शीशे पत्थर कीलें काँटे
पैरों में चुभते जाएंगे
जितना तू चलता जाएगा
फिर घाव भी बढ़ते जाएंगे

इन जलती तपती राहों में
तू खुद इक सहरा बन जाना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

पत्थर भी तैरा करते हैं
जब नाम हो उनपे मेहनत का
दरिया भी शीश झुकाता है
फिर देख के पौरुष मानव का

सेतू को निर्मित करके तू
फिर पार समंदर कर जाना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

बीती बातों को याद न कर
माज़ी पर रोना छोड़ भी दे
इन इच्छाओं की बेड़ी को
अपने संयम से तोड़ भी दे

गर तुझे सिकंदर बनना हो
तो एक कलंदर बन जाना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

रातों को भी जगना होगा
खुशियों को भी तजना होगा
अमृत को चखने से पहले
विष पान तुझे करना होगा

कष्टों की ज्वाला में जलकर
तू सच्चा सोना बन जाना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

काँटों में हाथ बढ़ाकर ही
खुशबू फूलों की मिलती है
तब जन्म शिशु भी लेता है
जब माँ पीड़ा को सहती है

इस जीवन की रणभूमि में
संघर्षों से मत घबराना
गर तूफ़ानों से लड़ना हो
तो एक बवंडर बन जाना

This post is licensed under CC BY 4.0 by the author.

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