Home मुझको केवल शोर चाहिए
Post
Cancel

मुझको केवल शोर चाहिए

मेरे जीवन में चुप्पी ने
है बेहद उत्पात मचाया
थोड़ा थोड़ा डसके मुझको
जहर रक्त में रोज मिलाया
इस खामोशी के सहरा में
शोर का पानी और चाहिए
मुझको केवल शोर चाहिए

घर में पसरा है सन्नाटा
चीजें बिखरी पड़ी हुई है
प्रियतम तुम भी दूर गई हो
अकेला मुझको छोड़ गई हो
तुम थी तब तो बात तुमही से
दिल की अपनी कर लेता था

दिल भी अब कमजोर हुआ है
और अब इससे सहा न जाए
भार मौन का सह लेने को
दिल भी एक कठोर चाहिए
मुझको केवल शोर चाहिए

मुझको वो पल याद हैं आते
जब बच्चे खेला करते थे
कभी गेंद और पत्थर से वो
खिड़की तोड़ दिया करते थे
मुझको कोलाहल लौटा दो
जितने भी घर में शीशे हैं
उनको अब वापिस तुड़वादों
बचपन का फिर मोड चाहिए
मुझको केवल शोर चाहिए

टिक टिक करती घड़ी बोलती
“घर के शोर में कभी तूने
न मेरी आवाज सुनी थी
देख समय भी बदल गया है
तू बस मुझको सुनता जाए

मैं तेरी इकलौती साथी
ले मैं थोड़ा साथ निभादूँ
जो भी तेरे साथ हुआ है
वो तो सब कुछ याद है मुझको
ला मैं तेरी थकन मिटा दूँ
तुझको काल की सैर कर दूँ
फिर यादों की भोर चाहिए
तुझको केवल शोर चाहिए“

इतना माँगूँ मैं बस तुमसे
या तो शोर दो या फिर भगवन
स्थायी चैन मौत का देकर
मुझको प्रियतम से मिलवा दो
इस अनचाहे जीवन की अब
कट जानी फिर डोर चाहिए
मुझको केवल शोर चाहिए

This post is licensed under CC BY 4.0 by the author.

Secrets to Creating Stunning AI Images: Expert Prompts

तो एक बवंडर बन जाना