Home मोहब्बत इक पहेली है जिसे सुलझा नहीं सकते
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मोहब्बत इक पहेली है जिसे सुलझा नहीं सकते

मुसीबत देख के मुझ को खुद अब रस्ते बदलती है
जो तेरा साथ है तो साथ में किस्मत भी चलती है

ये कैसा राग छेड़ा है, ये कैसा सुर लगाया है
सभी हैं रक्स में पागल, जवानी फिर मचलती है

कहाँ हम रोज मिलते थे, कहाँ यादों से जीना है
नहीं जल्दी से आशिक की कभी आदत बदलती है

हजारों रंग हैं इसके, हजारों खुशबू हैं इसकी
मोहब्बत रोशनी है वो जो हर दिन रात जलती है

मोहब्बत इक पहेली है जिसे सुलझा नहीं सकते
कहीं चुप चाप बैठी है, कहीं खुल के निकलती है

This post is licensed under CC BY 4.0 by the author.

First Euphoria

न वो छत है, न वो आँगन, न उस मिट्टी की खुशबू है