बिछड़ने पे उसने ये सौगात दी है
मुझे तो गमों से भरी रात दी है
ये महँगी मोहब्बत खरीदें तो कैसे
मुझे तो खुदा ने न औकात दी है
हैं सदियों के गम और लम्हों की खुशियां
मुझे ज़िंदगी ने ये खैरात दी है
मुझे दोस्तों से नहीं मिलने देते
मोहब्बत ने यारी को फिर मात दी है
ये किसका मोहब्बत भरा खत है आया
बयाबाँ को किसने ये बरसात दी है
बिछड़ने पे उसने ये सौगात दी है
This post is licensed under CC BY 4.0 by the author.